हमारे जीवन में नक्षत्र का प्रभाव ऊंचाई और गहराई तक ले जा सकता है। अपितु हमारे कर्म और किया गया धर्म हमलोग के साथ चलता है जन्म से मृत्यु तक कुंडली में 6,8,12 भावों में बैठे ग्रह या इनके राशि स्वामी की दशा, अंतर्दशा या महादशा धन का नुकसान, रोग, शत्रु भय, भूमि अधिग्रहण या विवाद, हेल्थ की दिक्कत, गृह क्लेश, पैसों की ठगी या कर्ज की संभावनाएं बढ़ जाती है। इनके को प्रभाव से बचने के लिए इन राशियों के स्वामी का दान या मंत्र जाप करें। गोचर में आने से भी परेशानी बढ़ेगी। किसी भाव संबधित फलादेश जानने के लिए ग्रहों की दशा,अंतर्दशा, महादशा के किए गए कर्म अवश्य ध्यान में रखे, शुभ ग्रह की महादशा उम्र के बीच मे आने पर अच्छा प्रभाव देगा, जीवन में सभी सुख की प्राप्ति होगी, बीमारियों से दूर रहेंगे, सभी काम अच्छे चलेंगे, संतान सुख की प्राप्ति होगी
महादशा का स्वामी और अंतर्दशा का स्वामी ग्रह अगर आपस मे मित्र होंगे तो कुंडली में 6,8, 12 भाव के मालिक भी अच्छा परिणाम देगा भूमि, भवन, धन संपत्ति, सोना सभी सुखों की वृद्धि होगी।
दशा अंतर दशा ग्रहों आपस में शत्रु भाव हो और परस्पर 6,8, 12 वे भाव में बैठा हो ग्रह क्लेश, बिजनेस में नुकसान, धन हानि की संभावनाएं बढ़ जाती है।
इस दशा में किया गया कार्य, विवाह उत्तम सुख नही देता। हमसभी को इनके राशि स्वामी का मंत्र जप करना चाहिए और दान भी कर सकते हैं।