मंगल का प्रभाव (Mars)

भूमि पुत्र मंगल देव हमारे शरीर में दौड़ता हुआ खून और साहस है, जिसके बिना इंसान निर्जीव प्राणी के समान होता है। मंगल एक ऐसी ऊर्जा है जो किसी भी काम को करने के लिए 24 घंटा तैयार रहते हुए अपना कर्तव्य का पालन करता है। हमारे पूरी जीवन का चक्र मंगल के अधीन है जब इंसान का मंगल खराब होता है तो आलस्य ज्यादा होना शुरू हो जाता, अपने कर्म और कर्तव्य के प्रति जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। इंसान चाह कर भी कुछ नही करता।

यह सत्व बल, धैर्य और पराक्रम का प्रतीक के होता है। यह पुरुष ग्रह ,पुरुष तत्व, वर्ण, दक्षिण दिशा का स्वामी, आग तत्व, पीत प्रकृति क है।, इसके अंदर तमोगुणी, जवान अवस्था, साहस, बहुत ज्यादा चंचल, उग्र बहुत गुस्से वाला (जैसे -सेना के जवान) पुष्ट शरीर वाला, मध्य आकर,क्षत्रिय जाति, रात का और पापी ग्रह माना जाता है।

मंगल क्रमशः – मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। मकर राशि में 28 अंश पर परम उच्च का होता है। और कर्क राशि में 28 अंश का नीच का होता है। मंगल से हम लोग पराक्रम, लघुभात्र, भूमि, सेना, शत्रु का कारक ग्रह है।

मंगल का प्रभाव हमारे जीवन में 28 से 32 वर्ष की अवधि तक विशेष रूप से प्रभावित रहता है। एक राशि में 45 दिनो तक रहकर इंसान को अपना प्रभाव का पूर्ण फल प्राप्त होने मे मदद करता रहता है। कुंडली के 3 और 6 भाव का कारक ग्रह है।

10 वे भाव में इसे दिग्बली बल प्राप्त है। मंगल की ऊर्जा बढ़ाने के लिए मूंगा रत्न, या मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

वैवाहिक जीवन के लिए पति पत्नी दोनो का मंगल ठीक होना जरूरी है, किसी एक का मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन को पूरी तरह नष्ट कर देता है। इसी लिए विवाह क पूर्व कुंडली मिलान करवाना जरूरी होता है। मंगल मन मस्तिष्क का घमंड, एगो, अपनी मर्जी का खुद मालिक, अपने काम को खुद अपने ढंग से करने वाला, अधिकतर बातों को अपने अंदर रखने वाला बनाता है।

मंगल की तीन दृष्टिया 4, 7 और 8 जिस भाव में बैठा होगा वहा से गिने

मंगल ग्रह तीन चंद्र नक्षत्रों का स्वामी है: मृगशिरा, चित्रा, श्राविष्ठा या धनिष्ठा।

मंगल से जुड़ी कुछ और बातें:-

 

मंगल ग्रह से लाल रंग को जोड़ा जाता है।

 

मंगल का तत्व अग्नि है।

 

मंगल से जुड़ी चीज़ें हैं – रक्त वर्ण, पीतल धातु, मूंगा

 

मंगल दक्षिण दिशा और ग्रीष्म काल से जोड़ा जाता है।

 

मंगल का भरणी नक्षत्र में गोचर बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है।

 

मंगल के भरणी नक्षत्र में जाने से वृश्चिक राशि के जातकों को कई लाभ मिल सकते हैं।

 

मंगल के नक्षत्र परिवर्तन से तुला राशि वालों के कई बिगड़े हुए काम बनने लग जाते हैं।

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